Hindi, asked by ayandey8321, 29 days ago

पानी गए न ऊबरै, मोती , मानुष , चून

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Answered by ishusri410
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पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥ # अर्थ - रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।

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