पुनर्जागरण के कारण और परिणाम बताइए।
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यूरोप में पुनर्जागरण के कारण और परिणाम
पुनर्जागरण के कारण — यूनान और रोम की प्राचीन सभ्यता समाप्ति की ओर अग्रसर थी. यूरोप में मध्य युग का आरंभ हो चुका था, तेरहवीं शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी के बीच यूरोप में कुछ ऐसी खास परिस्थितियां उत्पन्न हुई, जिसने यूरोप के लोगों को जागरूक कर दिया और यही जागरूकता पुनर्जागरण कहलाती है। यूरोप में हुए पुनर्जागरण के निम्नलिखित कारण थे...
- क्रूसेड — मुस्लिम व इसाई धर्म के मानने वाले लोगों के बीच धर्मयुद्ध के कारण यूरोप के निवासी पूर्व के लोगों के संपर्क में आए। इस कारण वे नए विचारों और ज्ञान से परिचित हुये। जिससे उन लोगों के दिमाग पर छाया रहने वाला चर्च का प्रभाव कम हो गया और उनमें चेतना का विकास हुआ।
- व्यापारिक समृद्धि — क्रूसेड के बाद यूरोप के लोगों के पूर्व भी देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित होने लगे। इससे नए-नए चेहरे शहरों की स्थापना आरंभ हो गई। यह शहर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केंद्र बन गए और अलग-अलग देशों के व्यापारियों का इन शहरों में आवागमन होने लगा। इससे एक जगह से दूसरी जगह के विचारों का आदान-प्रदान होने लगा और लोगों में चेतना और जागरूकता तथा वैचारिकता बढ़ने लगी। जिससे उनके ज्ञान में वृद्धि हुई। इस स्थिति में पुनर्जागरण में के विकास में मदद की।
- कागज और मुद्रण यंत्र का अविष्कार — छपाई थाने के आविष्कार ने विज्ञान को एक नया रास्ता दिया। 15 वीं शताब्दी में गुटेनबर्ग द्वारा टाइपराइटर मशीन के आविष्कार से रोम का साहित्य आमजन तक पहुँचना आसान हो गया, इससे लोगों में ज्ञान से संबंधित साहित्य पहुंचने लगा और उनमें जागरूकता आती गई।
- कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार — 15वीं शताब्दी में 1453 में कुस्तुन्तुनिया पर तुर्की ने अधिकार कर लिया। इससे यूनान के सारे विद्वान, कलाकार और दार्शनिक यूनान को छोड़कर यूरोप के अन्य नगरों में जाकर बसने लगे। ऐसे ही अपने साथ यूनानी ज्ञान, विज्ञान, साहित्य आदि भी साथ ले गए ले गए और इसका प्रसार यूरोप में जहाँ भी गये वहाँ किया, इससे यूनानी संस्कृति और रोम की संस्कृति में समन्वय स्थापित हुआ और पुनर्जागरण की आधारशिला पड़ी।
- मानवतावाद का विकास — यूरोप में मानवतावाद का उदय हो चुका था। इस कारण लोगों में अपने जीवन पर धर्म के नियंत्रण के प्रति विद्रोह की भावना पनपने लगी। मानवतावादियों ने चर्चेों द्वारा प्रचलित अंधविश्वासों एवं धर्म-अधिकारियों की अनैतिक जीवन प्रणाली की आलोचना करनी शुरू कर दी, जिससे जनता में जागरूकता आनी शुरू हो गई और जनता को सुसंस्कृत बनाने के लिए प्राचीन रोम और यूनानी साहित्य लोकप्रिय होने लगा। इस कारण लोगों में पुनर्जागरण और चेतना की भावना का उदय होता गया।
- मंगोल साम्राज्य का उदय — मंगोल साम्राज्य के उदय से यूरोप और एशिया के बीच संपर्क स्थापित हो गया था। यूरोप यात्री मार्कोपोलो ने अपनी मंगोल यात्रा के दौरान अपने यात्रा वृत्तांत में मंगोल साम्राज्य की समृद्धि के बारे में वर्णन किया, जिससे यूरोपियों में भी चेतना जागृत हुई।
पुनर्जागरण के परिणाम — पुनर्जागरण ने साहित्य, कला एवं विज्ञान ही नहीं बल्कि मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया। ऐसी स्थिति में पुनर्जागरण के निम्नलिखित परिणाम हुए...
- पुनर्जागरण ने मनुष्य को स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान किया और अब लोग अपने विचारों को व्यक्तिगत रूप से व्यक्त कर सकते थे।
- पुनर्जागरण ने मनुष्य को पूर्णता भौतिकवादी बना दिया और वह प्रकृति वैज्ञानिक आविष्कारों की ओर मुड़ गया तथा अन्य भौगोलिक खोजों में संलग्न हो गया।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विज्ञान के उदय ने मध्यकालीन कट्टर धार्मिक परंपराओं और सिद्धांतों का खंडन किया। इससे धार्मिक कट्टरता का प्रभाव कम हुआ और विज्ञान को बढ़ावा मिला।
- धर्म और पोप की सत्ता कमजोर पड़ने लगी और लोगों में राष्ट्रीयता का भावना विकसित होने लगी। राष्ट्रीयता की भावना के कारण लोगों को अपने देश के विकास में रुचि होने लगी।
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