पापा और बेटी के बीच में संवाद लिखिए
Answers
Answer: पिता: बेटी राधिका क्या तुम मेले में जाने के लिए तैयार हो गई हमें देर हो रही है।
बेटी: जी पिता जी! बस माताजी मेरे बाल बना दे।
पिता: ठीक है। बेटा बाल जरा कस कर बंधवाना क्योंकि मेले में तुम्हें झूले झूले हैं।
बेटी: क्या पिताजी ! वहां पर मुझे झूले झूलने को मिलेंगे? अरे वाह यह तो बहुत अच्छी बात है।
पिता: हाँ तो तुम्हें क्या लगा कि मेला कोई अच्छी जगह नहीं है?
बेटी: नहीं नहीं मुझे लगा था वहां पर केवल अच्छे-अच्छे खेल दिखाए जाते हैं और खिलौने मिलते हैं।
पिता: नहीं बेटा वहां पर मैं तुम्हें बहुत सारे झूले झुलवाऊंगा और कई सारे खिलौने भी दिलवा लूंगा अगर हम समय से निकले तो।
बेटी: तब तो जल्दी चलिए पिताजी कहीं समय ना निकल जाए।
पिता: हाँ चलो।
Explanation:
Answer:
राहुल: देखो, राघव! तुमने बिना पूछे आदित्य के बस्ते में से पुस्तक ले ली। यह बहुत बुरी बात है।
राघव: इसमें क्या हो गया?
राहुल: यह बात गलत है-किसी की कोई वस्तु उससे पूछे बिना लेना ठीक नहीं। इसको अनुशासनहीनता कहते हैं।
निखिल: पापा अनुशासनहीनता किसे कहते हैं?
राहल: किसी नियंत्रण, आज्ञा और बंधन में रहना ही अनुशासन है। अनुशासन में रहने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता है।
ऐश्वर्या: अनुशासन में रहने के बहुत लाभ होंगे?
राहुल: हाँ बेटी। अनुशासन हमारे जीवन को सार्थक और प्रगतिशील बनाता है। विद्यार्थी को संयम और नियम में रहना अनुशासन ही सिखाता है। जीवन को सफल बनाने में यह बहुत सहायक है।
राघव: क्या अनुशासन जीवन में चरित्र को उज्ज्वल बनाने में सहायक होता है?
राहुल: बिल्कुल, बेटे! चरित्र-निर्माण की नींव अनुशासन तो डालता ही है। मानसिक विकास भी इसी के द्वारा विद्यार्थी में ढलता है।