‘पाप से घृणा करो यह तो स्वर्ग है’। इसे प्रस्तुत पाठ के संदर्भ पर स्पष्ट कीजिए!
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Class 7th B
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केवल भारतीय धर्मग्रंथों में नहीं, बल्कि सभी पंथों के ग्रंथों में कहा गया है कि मनुष्य को क्षमाशील होना चाहिए। उसे एक-दूसरे के प्रति सेवा भावना और गरीब-असहाय व्यक्ति की मदद करने को लेकर हमेशा प्रयत्नशील होना चाहिए। एक बार ईसा भ्रमण करते-करते एक नगर में पहुंचे। अनेक व्यक्ति उनके सत्संग में आते तथा उनके उपदेशों से प्रभावित होकर लौटते।
नगर का साहूकार शहीन यहूदी धर्मात्मा व्यक्ति था। उसने ईसा को भोजन के लिए आमंत्रित किया। ईसा ने भोजन के बाद उसे जीवन में धैर्य तथा क्षमा जैसे गुण अपनाने का उपदेश दिया। इसी नगर की एक नगरवधु मेरी भी ईसा के प्रवचनों से प्रभावित हुई। उसने भी साहस कर ईसा को भोजन का आमंत्रण दिया। सरल हृदय ईसा आमंत्रण स्वीकार कर उसके घर भी चले गए।
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