पापमाण.
खारेजल से
धुल गए विषाद
मन पावन।
मृत्यु को जीना
जीवन विष पीना
है जिजीविषा।
मन की पीड़ा
छाई बन बादल
बरसी आँखें ।
चलतीं साथ
पटरियाँ रेल की
फिर भी मौन।
सितारे छिपे
बादलों की ओट में
सूना आकाश।
तुमने दिए
जिन गीतों को स्वर
हुए अमर।
सागर में भी
रहकर मछली
प्यासी ही रही।
questions 1) परिणाम लिखिए:
i) सितारों का छिपना
ii) तुम्हारा गीतों को स्वर देना
(2)
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kya bole ki aapko ham
aaaaapjmhi batao ab☆☆☆☆♡♡♡♡♡♡♡♡○○○○○●●●●●●●●■■■■■■■□□□□□□
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