प्र.1) नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
गुरु नानक देव जी एक वर्चस्वी सुप्रसिदध महात्मा थे। एक समय वे कहीं जा रहे थे मार्ग में
उन्होंने किसी भवन पर सात झंडे लगे हुए देखे | जिज्ञासा जागृत हुई। उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, “यह प्रसाद
किसका है? इस पर जो सात झंडे लहरा रहे हैं, इसका क्या कारण है? एक शिष्य ने करबद्ध होकर कहा,
"गुरु देव! वैभवशाली एक सेठ की यह कोठी है | जब उसके पास एक लाख की संपत्ति अर्जित हो जाती है तब
यह अपने मकान पर एक झंडा लगा देता है । वर्तमान में प्रतीत होता है कि उसके पास सात लाख रूपयों की
संपदा है।"गुरु नानक देव जी उसकी कोठी पर पहुँचे । मालिक को पता लगते ही वह सामने आया और विनम्
शब्दों में गुरु नानक देव जी से प्रार्थना करता हुआ बोला, आप वहाँ पर क्यों खड़े हैं? कृपया ऊपर
पधारिए।” गुरु नानक देव जी ने कहा, “अभी समय नहीं है, काफ़ी दूर जाना है । हाँ, हमारे पास एक सोने की
सुई है, रास्ते में भय है डाकुओं का, अत: इस सुई को आप अपने पास सुरक्षित रख लीजिए | इस सुई को आप
हमें वापस अगले जन्म में देवलोक में देना।" सेठ के मन में आश्चर्य का पार नहीं रहा। हाथ जोड़कर बोला,
आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं? यह कैसे संभव हो सकेगा? परलोक में तो मनुष्य कुछ भी साथ नहीं ले जा
सकता, सब यहीं का यहीं रह जाता है।” तब गुरु नानक जी ने कहा, जब आप संग्रहित सात लाख की
संपदा को साथ ले जा सकते हैं तब मेरी इस सूई में क्या वज़न है? इसे भी साथ ले जाना।" यह सुनते ही सेठ
को वास्तविक ज्ञान हुआ।
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क)गुरु नानक देव जी ने शिष्यों से क्या पूछा और क्यों?
ख)गुरु नानक देव जी ने सेठ को सोने की सुई क्यों दी?
ग)सेठ के भवन पर कितने झंडे लगे थे और क्यों?
घ)परलोक में मनुष्य अपने साथ क्या ले जा सकता है?
ड.)गदयांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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क . गुरु नानक देव जी ने ससुर से पूछा यह प्रसाद किसका है इस पर जो साथ झंडे लहरा रहे हैं इसका क्या कारण है
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