प्र.1 निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या करो।
ऊधौ मन माने की बात।
दाख छुहारा छांडि अम्त फल, विषकीरा विष खात ।।
ज्यों चकोर कों देई कपूर कोउ, तजि अंगार अघात ।
मधुप करत घर फोरि काठ में, बंधत कमल के पात।।
ज्यों पतंग हित जानि आपनो, दीपक सौं लपटात।
सूरदास जाको मन जासौ, सोई ताहि सुहात।।
-अथवा
लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।।
का छति लाभु जून धनु तोरे। देखा राम नयन के भोरे।।
छुअत टूट रघुपति न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू।।
बोले चितई परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा।
बालकु बोलि बधउँ नहिं तो ही। केवल मुनि जड़ जानहि मोही।।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। विस्व बिदित क्षत्रिय कुल द्रोही।।
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