प्र.1
पूर्णाक
50
05
निम्नलिखित गद्यांश को पढकर नीचे दिये गये प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए ।
धन लोभ ने मानव भागों को पूर्ण रूप से अपने अधीन कर लिया है कुलीतता और शराफत, गुण और और
योग्यता की कसौती, पैसा और केवल पैसा है। जिनके पास पैसा है वे देवता स्वरूप हैं। चाहे उनका अंत:करण
कितना ही काला क्यों न हो। साहित्य, संगीत और कला सभी धन की दहेली पर माथा टेकते हैं। यह हवा इतनी
जहरीली हो गई है कि इस में जीवित रहना कठिन होता जा रहा है। डॉक्टर और हकीम है की विना लंवी फिश लिये
बात ही नहीं करते । वकील वेरस्टर हैं की वे समय को अशर्फियां में तोलते हैं। मौलवी साहब और पंडित जो भी
पैसे वालों के बिना पैसे की गुलाम है। अखबार उन्हीं का राग अलाप ते हैं। आज गुण और योग्यता की सफलता
आर्थिक मूल्य के हिसाव से मानी जाती है। इस अर्थ लोलुप ताने आदमी के दिलो दिमाग पर इतना अधिकार जमा
लिया है कि उसके राज्य पर किसी और से भी आक्रमण करना कठिन दिखाएं देता है। स्नेह, सच्चाई और सौजन्य
सौजन्य का पुतला मनुष्य का दिमाग दयाहीन जड़ यंत्र बनकर रह गया है। इस महाजनी सभ्यता ने नियम बना लिए
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चगणडणडणडणडणडणडणडचडचचडचढचडचडच
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