प्र-15.
'अपराजिता' पाठ के अनुसार डॉ. चन्द्रा को अपराजिता क्यों कहा गया है?
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अपराजिता पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा।
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'अपराजिता' पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा।
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अपराजिता पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा।
अपनी शारीरिक कमी के बावजूद उन्होंने अपनी थीसिस जारी रखी और अंततः डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने किसी भी का सहारा नहीं लिया और अपने दम पर एम एस सी में प्रथम स्थान हासिल करके बंगलुरु के इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में अपने लिए विशेष स्थान अर्जित किया। उन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को अपंगता को अपने उद्देश्य की पूर्ति अपने लक्ष्य की पूर्ति में बिल्कुल भी आड़े नहीं आने दिया, इसीलिये डॉ चंद्रा को अपराजिता कहा गया है।
अपराधजता’ कहानी की लेच्छखका धशवानी हैं। यह पाठ ऐसी युवती की कहानी है जो पोधलयो होने से अपंग हो गई, उसका धनचला शरीर एकदम धनजीव हो गया। धफर भी उसने जीवन में हार नही ं मानी और उच्च धशक्षा प्राप्त कर डॉक्टरेट की धडग्री प्राप्त की। अदम्य साहस रखने से उसे अपराधजता कहा गया है।
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