Math, asked by ghanshyamsen9229, 1 month ago

प्र.28 (अ) किसी एक विषय पर निबंध लिखिए
(4) जल ही जीवन है​

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Answered by jayantgandate
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Answered by Itz2minback
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जल आज हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मनुष्य के शरीर का 70% हिस्सा जल ही है तो आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर जल नहीं होगा तो क्या हो सकता है। जल के बिना पूरा पर्यावरण नष्ट हो जाएगा। मनुष्य भोजन के बिना कई महीनों तक जीवित रह सकता है लेकिन जल के बिना उसकी 1 सप्ताह के अंदर ही मृत्यु हो जाएगी।

हमारी पृथ्वी पर सभी संसाधन सीमित मात्रा में है वैसे ही जल भी सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। जैसे हमारे जीवन की हर एक सांस अमूल्य है वैसे ही जल भी अमूल्य है।

जल पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों के लिए अमृत के समान है। आज हम जल का इस प्रकार दुरुपयोग कर रहे है जिससे आने वाले कुछ वर्षों में सभी जगह पानी की किल्लत हो जाएगी।

हमारी आगे आने वाली पीढ़ी को जल नहीं मिलेगा तो आप सोच सकते हैं कि आने वाले वर्षों में जल के बिना स्थिति कितनी भयावह होगी। आज मानव द्वारा जो जल पीने लायक है,

उसे भी प्रदूषित किया जा रहा है नदियों, नहरों, तालाबों में नालों का पानी छोड़ दिया जा रहा है जिसके कारण शुद्ध जल भी प्रदूषित हो रहा है और इसके कारण कई बीमारियां फैल रही है।जल की सही कीमत वही लोग जानते है जो कि कई किलोमीटर दूर से पानी का एक घड़ा लेकर आते है कभी-कभी तो है जल भी प्रदूषित होता है लेकिन जल संकट के कारण और अपने प्राणों को बचाने के लिए उन्हें प्रदूषित जल भी पीना पड़ता है।

हमें जल को बचाने की जितनी कोशिश हो सके उतनी करनी चाहिए। जब भी आपको किसी नल से पानी बहता दिखे तो तुरंत उस नल को बंद कर देना चाहिए अब आप सोचेंगे कि इस थोड़ी से जल को बचा कर क्या फायदा होगा।

तो हम आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते है कि बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है और बूंद-बूंद से ही एक समुद्र तो जितना जल हम बचाएंगे भविष्य में हमें उतनी ही कम कठिनाइयां होगी।

जल को बचाने के लिए अनावश्यक कार्यों में जल का उपयोग ना करें। वर्षा का जल संग्रहित करे और जल के महत्व को लोगों को समझाना चाहिए। हम जल बचाओ की रैली निकालकर लोगों को जल बचाने के लिए प्रेरित कर सकते है।जल मानव जीवन के लिए ही नहीं महत्वपूर्ण है यह मानव के शरीर का भी अभिन्न अंग है क्योंकि मानव का 70% से अधिक शरीर पानी ही होता है। और पृथ्वी पर रहने वाले अन्य सजीव प्राणियों के लिए भी जल का होना अति आवश्यक है।

हमारे पृथ्वी को हरा भरा रखने और पृथ्वी का तापमान नियंत्रित इस जल के कारण ही हो पाता है अगर पृथ्वी पर जल नहीं होगा तो यह है मंगल ग्रह की तरह सिर्फ सूखा ही होगा जहां पर जीवन का कोई नामोनिशान नहीं होगा।

हमें Jal का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर हम ऐसा करते है तो हम हमारे जीवन के साथ ही खिलवाड़ कर रहे है। ऐसा प्रतीत होता है कि हम अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मार रहे है। जल हमारी पृथ्वी पर कई रूपों में विद्यमान है जैसे कि पहाड़ों पर बर्फ के रूप में, नदियों, जलाशयों और भूमिगत जल के रूप में, वाष्प के रूप में।

जल के इतने रूप होने के कारण हमारी पूरी पृथ्वी पर जल उपलब्ध हो पाता है क्योंकि जल अगर ठोस अवस्था में ही होता तो यह सिर्फ पहाड़ों पर ही होता है जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो पाता। जल के वाष्प रूप के कारण बड़े महासागरों और समुद्रों से जल वाष्प के रूप में उड़कर बादल बनता है

और पूरी पृथ्वी पर जाकर वर्षा करता है जिससे सभी स्थानों पर जल की पूर्ति हो पाती है वर्षा के जल के कारण ही तालाब, बांध और भूमिगत जल में वृद्धि होती है।

अगर पृथ्वी पर बरसात ही नहीं होगी तो पानी की कमी हो जाएगी सभी तालाब, बांध और भूमिगत जल स्त्रोत सूख जाएंगे। वर्तमान में भी यही स्थिति उत्पन्न हो रही है क्योंकि हमारे देश में साल-दर-साल वर्षा कम होती जा रही है। इसका मुख्य कारण पेड़ों की कटाई है क्योंकि पेड़ों और वनों के कारण ही वर्षा होती है।

और हमारे देश में तो पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है जिसके कारण हर साल किसी ना किसी राज्य में सूखा पड़ता है। और साथ ही हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि बहुत ही अधिक तेजी से हो रही है जनसंख्या के मामले में हमारा देश दूसरे नंबर पर आता है लेकिन 2022 तक हमारा देश जनसंख्या के मामले में प्रथम होगा।

जैसा कि हम सब जानते है कि जनसंख्या बढ़ेगी तो जल की भी उतनी ही आवश्यकता होगी लेकिन जल तो दिनों दिन कम होता जा रहा है तो इसकी पूर्ति कैसे होगी ?

भूमिगत जल तो पहले से ही कम हो चुका है हमारे देश के ज्यादातर राज्यों को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है इसका मतलब है कि इन राज्यों में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत है और अगर आने वाले कुछ सालों में इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो यहां पर भूमिगत जल का स्रोत विलुप्त हो जाएगा।

और जल के अन्य स्त्रोतों की बात करें तो नदियों और तालाबों में जल तो उपलब्ध है लेकिन वह भी दिन-प्रतिदिन कम हो रहा है साथ ही हम नदियों तालाबों के जल को प्रदूषित भी कर रहे हैं जिसके कारण नदियों का जल पीने लायक नहीं है।

नदियों में जल प्रदूषण की बात करें तो हम यमुना नदी का उदाहरण ले सकते हैं क्योंकि जब यमुना नदी उत्तरकाशी से निकलती है तब इसका जल बहुत ही स्वच्छ होता है लेकिन जैसे-जैसे यह शहरों से निकलती है दिल्ली में शहर में इस नदी में इतना दूषित पानी छोड़ा जाता है।

जिसके कारण यह है जब तक आगरा पहुंचती है तब तक इसका रूप काला हो चुका होता है इसका मतलब आप समझ सकते हैं कि नदियों को हम कितना प्रदूषित कर रहे है।

जल ही जीवन है इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है क्योंकि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है। जल के बिना धरती के किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है। हमारी धरती पर वैसे तो 70% जल ही है

लेकिन मनुष्य के लिए पीने लायक जल केवल 2% ही है जो कि हमें भूमिगत, नदियों, तालाबों और वर्षा के पानी से उपलब्ध होता है। लेकिन दिनों दिन वर्षा की कमी के कारण भूमिगत जल में कमी आ गई है जिसके कारण पूरे विश्व में पानी की किल्लत हो

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