प्र.4.निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए : शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है, शिक्षा क्या स्वर साध सके गी यदि नैतिक आधार नहीं है, कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें।। अविशष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है, सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है, भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूले।। 1. आकृति पूर्ण कीजिए : 1 होना जरुरी है अविष्कारों में विज्ञान में
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शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है, शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है, कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें।
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शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है?
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है, कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें ! ... इस कविता में बाजपेयी जी ने नूतन अनुसंधान, संस्कृति के सम्मान जगत का कल्याण - उत्थान करने के साथ ही साथ चरित्र निर्माण करने को विशेष महत्त्व प्रदान किया है। अर्थ :- यह युग विकास का युग है। नवनिर्माण का युग है।
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