प्र०-5 निम्नलिखित पठित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आगे चना गुरूमातु दए ते , लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।स्याम कयो मुसकाय सुदामा सो , " चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।।
पोटरि कॉख में चॉपि रहे तुम , खोलत नाहिं सुधा रस भीने।पाछिलि बानि अजौ न तजो तुम , तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे ।।"
1 चने किसके द्वारा किसको दिए गए?
2 " चोरी की वान में हौ जू प्रवीने " यह पंक्ति किसने किससे कही?
3 पोटली के चावल कैसे रस में भीगे है?
4 कौन अपनी बचपन की चोरी की आदत नही छोड पाए थे?
5 सुदामा अपनी बगलमे क्या छिपा रहे थे?
6 'बान' का अर्थ है।
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चने गुरु माता ने सुदामा को दिए
यह पंक्ति श्री कृष्ण ने सुदामा को कहिए
सुधा रस से
सुदामा
चावल
बान का अर्थ आदत से है
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I hope you anderstand .........
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