प्राचीन काल की ऐतिहासिक प्रस्ट भूमि पर प्रकाश डालिए
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(ऐतिहासिक स्रोत तथा भारतीय सभ्यता के विकास में राजस्थान का योगदान - कालीबंगा व आहड़ का सांस्कृतिक राजस्थान का योगदान - कालीबंगा वा आहड़ का सांस्कृतिक महत्व)
मानव सभ्यता का इतिहास वस्तुत: मानव के विकास का इतिहास है। इस दिशा में जो महत्वपूर्ण खोज हुई हैं, उनके अनुसार ऐसा अनुमान किया जाता है कि लगभग अस्सी करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जीवन के चिह्म प्रकट होने लगे थे। मनुष्य अपने प्रारम्भिक जीवन में पशुवत् था। इस पशुवत् जीवन से ऊपर उठने के लिए उसने हजारों वर्ष लिए। मनुष्य के हजारों वर्ष के इस विकास का लिपिबद्ध और क्रमागत प्रमाणिक इतिहास प्राप्त नहीं हैं। इसलिए इस युग के इतिहासकारों ने प्रागैतिहासिक युग की संज्ञा दी है।
प्रागैतिहासिक युग के मानव ने अपने जीवन-यापन व जीवन रक्षा हेतु जिन पदार्थों से बने हथियार व औज़ारों व अन्य उपरकरणों का प्रयोग किया था और विश्व व भारत के विभिन्न भागों में अवशेष के रुप में अथवा उत्खन्न के फलस्वरुप उपलब्ध हुए हैं। उनके आधार पर प्रागैतिहासिक काल को चार क्रमिक सोपानों में विभक्त किया जाता है :
(क) आदिम पाषाणकाल
(ख) पूर्व पाषाणकाल
(ग) उत्तर पाषाणकाल
(घ) धातुकाल धातुकाल पुन: तीन भागों में बाटें गये है :
(घ.१) ताम्र युग
(घ.२) कांस्य युग
(घ.३) लौह युग