Social Sciences, asked by sonamrathor71, 2 months ago

प्राचीन युग से भारत की प्रजा प्रकृति प्रेमी क्यों रही है​

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Answered by sheetalverma212001
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भौतिक विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज जरा ठहरकर सांस ली तो उसे अहसास हुआ कि चमक-धमक के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है. आज ऐसा कोई देश नहीं है जो पर्यावरण संकट पर मंथन नहीं कर रहा हो. भारत भी चिंतित है. लेकिन, जहां दूसरे देश भौतिक चकाचौंध के लिए अपना सबकुछ लुटा चुके हैं, वहीं भारत के पास आज भी बहुत कुछ है.

पश्चिम के देशों ने प्रकृति को हद से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. पेड़ काटकर जंगल के कांक्रीट खड़े करते समय उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसके क्या गंभीर परिणाम होंगे? प्रकृति को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पश्चिम में मजबूत परंपराएं भी नहीं थीं.

प्रकृति संरक्षण का कोई संस्कार अखण्ड भारतभूमि को छोड़कर अन्यत्र देखने में नहीं आता है. जबकि सनातन परम्पराओं में प्रकृति संरक्षण के सूत्र मौजूद हैं. हिन्दू धर्म में प्रकृति पूजन को प्रकृति संरक्षण के तौर पर मान्यता है. भारत में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों के साथ मानवीय रिश्ते जोड़े गए हैं. पेड़ की तुलना संतान से की गई है तो नदी को मां स्वरूप माना गया है. ग्रह-नक्षत्र, पहाड़ और वायु देवरूप माने गए हैं.

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