पैराग्राफ ऑन बढ़ती जनसंख्या दुनिया के लिए अभिसाप
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आज यह सर्वविदित है कि हमारे प्रिय देश भारत में बढ़ती जनसँख्या एक भयानक रुप ले चुकी है ? जिससे देश में विभिन्न धार्मिक जनसँख्या अनुपात निरंतर असंतुलित हो रहा है। इससे भविष्य में बढ़ने वाले अनेक संकटों का क्या हमको कोई ज्ञान है ? आज की बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए अभिशाप बन चुकी है। हम अपने अस्तित्व पर आने वाले संकट के प्रति सतर्क व सावधान कब होंगे ? लोकतांत्रिक देश में चुनावी व्यवस्था के आधार पर राष्ट्र की राज्य व्यवस्था का गठन होता है और उसमें सम्मलित होने के लिए देश के समस्त नागरिकों को एक समान अधिकार होता हैं। परंतु एक विशेष सम्प्रदाय के कुछ लोग निरंतर अपनी जनसँख्या बढ़ा रहें है जिससे देश में अनेक राष्ट्रीय व सामाजिक समस्यायें बढ़ रही हैं ।
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि जब 1947 में पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में मुस्लिम बहुसंख्यक हुए तो देश का विभाजन हुआ था। यह जनसंख्या बल का दुष्प्रभाव था जिससे तत्कालीन राजनीति ने विवश होकर धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया। लेकिन क्या वह स्थिति पुनः बनें उससे पूर्व ऐसे षड्यंत्रकारियों के प्रति सचेत होना आवश्यक नही होगा? क्या यह अनुचित नही कि जहां जहां मुस्लिम संख्या बढ़ती जाती हैं वहां वहां उनके द्वारा साम्प्रदायिक दंगे भड़काने से वहां के मूल निवासी पलायन करने को विवश हो जाते हैं? तत्पश्चात वहां केवल मुस्लिम बहुल बस्तियां होने के कारण उनमें अनेक अलगाववादी व आतंकवादी मानसिकता पनपने लगती हैं।