‘प्राकृत केवल अनपढ़ों की ही नहीं अपितु सुशिक्षितों की भी भाषा थी ‘ - महावीर प्रसाद द्विवेदी ने यह क्यों कहा?
(cbse class 10 HINDI A question paper 2016)
Answers
Answered by
2
पढ़े लिखे सभ्य और स्वयं को सुसंस्कृत विचारों के समझने वाले लोग स्त्रियों की शिक्षा को समाज का अहित मानते हैं। उन लोगों ने अपने आसपास से कुछ कुतर्क दिए जिन्हें द्विवेदी जी ने अपने सशक्त विचारों से काट दिया। द्विवेदी जी के अनुसार प्राचीन भारत में स्त्रियों के अनपढ़ होने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है परंतु उनके पढ़े-लिखे होने के कई प्रमाण मिलते हैं उस समय बोलचाल की भाषा प्राकृत थी तो नाटकों में भी स्त्रियों में अन्य पात्रों से प्राकृत तथा संस्कृत बुलवाई जाती थी। इसका यह अर्थ नहीं है कि उस समय स्त्रियां पढ़ी-लिखी नहीं थी। हमारा प्राचीन साहित्य प्राकृत भाषा में है। उसे लिखने वाले अवश्य अनपढ़ होने चाहिए। बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अधिकतर ग्रंथ प्राकृत भाषा में है, जो हमें उस समय के समाज से परिचित करवाते हैं। बुद्ध भगवान के सभी उपदेश प्राथमिक भाषा में है। बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक प्राकृत भाषा में है। जिस तरह आज हम बंगला, हिंदी, उड़िया आदि भाषाओं का प्रयोग बोलने तथा पढ़ने लिखने में करते हैं उसी तरह उस समय के लोग प्राकृत भाषा का प्रयोग करते थे।
amir32:
hi
Similar questions