पुरा कस्मिंश्चिद् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। तस्याश्चैका दुहिता विनम्रा मनोहरा
चासीत्। एकदा माता स्थाल्या तण्डुलान्निक्षिप्य पुत्रीमादिदेश- सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो
रखा किञ्चित्कालादनन्तरम् एको विचित्रः काकः समुठ्ठीय तामुपाजगाम।
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पुरा कस्मिंश्चिद् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। तस्याश्चैका दुहिता विनम्रा मनोहरा चासीत्। एकदा माता स्थाल्या तण्डुलान्निक्षिप्य पुत्रीमादिदेश- सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रखा किञ्चित्कालादनन्तरम् एको विचित्रः काकः समुठ्ठीय तामुपाजगाम।
अर्थ : किसी प्राचीन समय में किसी गाँव में एक निर्धन स्त्री रहती थी। उसके साथ उसकी पुत्री विनम्र भी रहती थी। एक बार माँ ने चावल के दानों को धूप में रख कर अपनी पुत्री को आदेश दिया कि वह सूर्य की धूप में रखे चावलों की रक्षा पक्षियों से करें. कुछ समय बाद एक विचित्र प्रकार का कौवा आया और कुछ मुट्ठी चावल लेकर उड़ गया।
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