Hindi, asked by prernavlko2667, 10 months ago

प्रेमचंद की 'बड़े भाई साहब' कहानी में छोटा भाई लगातार प्रथम आकर भी अपने असफल होने वाले भाई साहब सम्मान करता है, इसके पीछे निहित मूल्यों की समीक्षा कीजिए I

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Answered by shishir303
70

“बड़े भाई साहब” कहानी में छोटा भाई लगातार प्रथम आकर भी अपने असफल होने वाले बड़े भाई का सम्मान करता है। जिसके भी इसके पीछे निहित मूल्य पारिवारिक मूल्य और संस्कार हैं। भले ही बड़े भाई साहब निरंतर असफल होते रहे हों, और छोटा भाई निरंतर प्रथमा लेकिन वे थे तो बड़े भाई ही।

भारतीय संस्कृति में अपने से बड़ों का सदैव सम्मान किया जाता है। लेखक अपने बड़े भाई का इसी दृष्टि से सम्मान करता रहा। यह उसको दिए गए संस्कार ही थे। बड़े भाई साहब खुद भले ही सफल होते रहे, लेकिन वह अपने छोटे भाई का हमेशा ध्यान रखते और उसकी सफलता के लिए हर संभव प्रयास करते। छोटे भाई की सफलता से प्रसन्न होते थे। छोटे भाई को किसी भी गलत मार्ग पर चलने से रोकते थे। इस कारण शुरू शुरू में बड़े भाई की रोक-टोक खराब रखने के बाद छोटे भाई को बड़े भाई की बातों का महत्व समझ आने लगा और वो बड़े भाई का सम्मान करने लगा।

Answered by yash1690
2

Answer:

बड़े भाई साहब” कहानी में छोटा भाई लगातार प्रथम आकर भी अपने असफल होने वाले बड़े भाई का सम्मान करता है। जिसके भी इसके पीछे निहित मूल्य पारिवारिक मूल्य और संस्कार हैं। भले ही बड़े भाई साहब निरंतर असफल होते रहे हों, और छोटा भाई निरंतर प्रथमा लेकिन वे थे तो बड़े भाई ही।

भारतीय संस्कृति में अपने से बड़ों का सदैव सम्मान किया जाता है। लेखक अपने बड़े भाई का इसी दृष्टि से सम्मान करता रहा। यह उसको दिए गए संस्कार ही थे। बड़े भाई साहब खुद भले ही सफल होते रहे, लेकिन वह अपने छोटे भाई का हमेशा ध्यान रखते और उसकी सफलता के लिए हर संभव प्रयास करते। छोटे भाई की सफलता से प्रसन्न होते थे। छोटे भाई को किसी भी गलत मार्ग पर चलने से रोकते थे। इस कारण शुरू शुरू में बड़े भाई की रोक-टोक खराब रखने के बाद छोटे भाई को बड़े भाई की बातों का महत्व समझ आने लगा और वो बड़े भाई का सम्मान करने लगा।

Explanation:

बड़े भाई साहब” कहानी में छोटा भाई लगातार प्रथम आकर भी अपने असफल होने वाले बड़े भाई का सम्मान करता है। जिसके भी इसके पीछे निहित मूल्य पारिवारिक मूल्य और संस्कार हैं। भले ही बड़े भाई साहब निरंतर असफल होते रहे हों, और छोटा भाई निरंतर प्रथमा लेकिन वे थे तो बड़े भाई ही।

भारतीय संस्कृति में अपने से बड़ों का सदैव सम्मान किया जाता है। लेखक अपने बड़े भाई का इसी दृष्टि से सम्मान करता रहा। यह उसको दिए गए संस्कार ही थे। बड़े भाई साहब खुद भले ही सफल होते रहे, लेकिन वह अपने छोटे भाई का हमेशा ध्यान रखते और उसकी सफलता के लिए हर संभव प्रयास करते। छोटे भाई की सफलता से प्रसन्न होते थे। छोटे भाई को किसी भी गलत मार्ग पर चलने से रोकते थे। इस कारण शुरू शुरू में बड़े भाई की रोक-टोक खराब रखने के बाद छोटे भाई को बड़े भाई की बातों का महत्व समझ आने लगा और वो बड़े भाई का सम्मान करने लगा।

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