प्रेमचंद्र के फटे जूते में फोटो खिंचा ली पर लेखक ऐसा नहीं करता क्यों ?
mohitdaharwal93:
hi
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वे अपनी स्थिति को छिपाना नहीं जानते थे। वे यथार्थ को स्वीकार करने वाले थे, इसलिए जैसे थे, वैसे ही दिखते थे। उन्होंने फटे जूतों के साथ फोटो खिचा ली पर लेखक को उस स्थिति में हीनता और कमी नजर आती है। वह इसे छिपाना चाहता है, इसलिए इस दशा में फोटो न खिंचा पाता।
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वे अपनी स्थिति को छिपाना नहीं जानते थे। वे यथार्थ को स्वीकार करने वाले थे, इसलिए जैसे थे, वैसे ही दिखते थे। उन्होंने फटे जूतों के साथ फोटोखिचा ली पर लेखक को उस स्थिति में हीनता और कमी नजर आती है। वह इसे छिपाना चाहता है, इसलिए इस दशा में फोटो न खिंचा पाता।
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