प्रेमघन जी की स्वभावगत विशेषताओं में थीं - *
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please make me as brainliest අහන්න ටඨඵෂධන දෙනවද කියල මම ප්රර්ථනා කරනවා නම්
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प्रेमघन हिंदी साहित्य सम्मेलन के तृतीय कलकत्ता अधिवेशन के सभापति (सं. 1912) मनोनीत हुए थे। 'जीर्ण जनपद', 'आनंद अरुणोदय', 'हार्दिक हर्षादर्श', 'मयंक-महिमा', 'अलौकिक लीला', 'वर्षा-बिंदु' , भारत सौभाग्य, प्रयाग रामागमन, संगीत सुधासरोवर, भारत भाग्योदय काव्य। आदि इनकी प्रसिद्द काव्य कृतियाँ हैं.
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