प्र २. निम्नलिखित पठित गदयांश पर आधारित प्रश्नों के उतर लिखिए -
मुंबई की पाव भाजी और दिल्ली के छोले कुलचे की दुनिया पहले की तुलना में बढ़ी जरूर है पर स्थानीय व्यंजनों की दुनिया में छोटी हुई है। जानकार यह भी बताते हैं कि मथुरा के पेड़े और आगरा के पराठे नमकीन में अब वह बात कहाँ रही यानी जो चीजें बची भी हुई है उसकी गुणवत्ता में फर्क गया है । फिर मौसम और ऋतु के अनुसार फलों से व्यंजन और पकवान बना करते थे, उन्हें बनाने की फुरसत भी अब कितने लोगों को रह गई है ।अब गृहणियों कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना सिलना और फिर उसे व्यंजन तैयार करना सचमुच दुसाध्य है ।
१) वस्तुओं की गुणवत्ता में क्या और कैसे फर्क आया है?
२) आज की गृहणियों और कामकाजी महिलाओं के लिए क्या दुसाध्य है?
३) मौसमी फलों से बनाए जाने वाले कई व्यंजन अब नहीं बनाए जाते हैं क्यों?
४) स्थानीय व्यंजनों की दुनिया सीमित होती जा रही है इसके क्या कारण हैं?
५) इस गद्यांश के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं?
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