पीर औलिया अपना मुरीद(शिष्य) kise बनाते हैं?
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उनके पास न तो सही ज्ञान होता है और न कोई सिद्धि होती है फिर भी वे लोगों को अपना मुरीद यानी अनुगामी या शिष्य बनाते और उन्हें उनकी समस्याओं के निदान के उपाय बताते चलते हैं। यही उनके ज्ञान की सीमा है। निष्कर्षतः कबीर कहना चाहते हैं कि ये पीर-औलिया स्वतः अयोग्य होते हैं लेकिन दूसरों को ज्ञान सिखाते फिरते हैं।
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sorry for late reply mere phone ka battery dead Ho gaya tha
wow, 2nd rank holder
nhi mere school me aisa koi system nhi hai
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