प्र०६, पुलिंग तथा स्त्रीलिंग शब्दों को अलग-अलग कीजिए चील, दीवार, सड़क, जंगल, चाय, नगर, किनारा, समुद्र, मित्र, भीड़
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पुल्लिंग- जंगल, नगर, किनारा, समुद्र, मित्रवर
स्त्रीलिंग- चील, सड़क, चाय, दीवार, भीड़
लिंग’ का शाब्दिक अर्थ प्रतीक या चिह्न अथवा निशान होता है।
1.संज्ञाओं के जिस रूप से उसकी पुरुष या स्त्री जाति का पता चलता है, उसे ‘लिंग’ कहा जाता है। तो लिंग दो प्रकार के होते हैं: स्त्रीलिंग [जो स्त्री-जाति का बोध कराता है।] और पुल्लिंग [जो पुरुष-जाति का बोध कराता है।]
2.नपुंसक लिंग: पुल्लिंग और स्त्रीलिंग से इतर तीसरा लिंग जिसके अंतर्गत ऐसे पदार्थ आते हैं जिन्हें पुल्लिंग या स्त्रीलिंग के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता [अँग्रेज़ी व्याकरण में ऐसी स्थिति को न्यूटर जेंडर के अंतर्गत रखा जाता है]।
हिन्दी भाषा में संज्ञा शब्दों के लिंग का प्रभाव उनके विशेषणों तथा क्रियाओं पर पड़ता है। इस दृष्टि से भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए संज्ञा शब्दों के लिंग-ज्ञान अत्यावश्यक हैं।
हम शब्द का उच्चारण किस प्रकार करते रहे हैं उसी से उन शब्दों के लिंग स्थापित हुए हैं, यानी हम किसी हिंदी शब्द का लिंग इसी आधार पर जान सकते हैं कि हम उसे कैसा लिखते, पढ़ते या सुनते रहे हैं, जैसे:
अगर पुरुषत्व को ध्यान में रखकर उच्चारण करते हैं तो शब्द पुल्लिंग लगता है।
चाय स्त्रीलिंग है, यह हम इसीलिए जानते हैं कि रोज़मर्रा के वार्तालाप या लिखने-पढ़ने में यह शब्द स्त्रीलिंग के रूप में ही इस्तेमाल होता है [चाय ‘अच्छी’ है, मुझे ‘कड़ी’ चाय पसंद है, चाय बन ‘गई’, चाय पी ‘ली’ आदि।]
वैयाकरणों ने विभिन्न साहित्यकारों और आम लोगों के भाषा-प्रयोग और रुप [यानी शब्दों की व्याकणिक बनावट] के आधार पर कुछ लिंग निर्धारण नियम बनाए हैं।