पूर
ऋतु में सप्त ऋषि मण्ड रात्रि के पहले भाग में
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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। आज यानि 23 तारीख को ऋषि पंचमी है अगर आप व्रत न रख पाएं तो क्षमा के लिए पूजा कर सकते हैं। इस दिन किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। विष्णु जी के मत्स्य अवतार की कथा में सप्त ऋषियों के बारें में उल्लेख मिलता है। कथा के अनुसार जब धरती धरती पर जल प्रलय आई थी उस समय पूरी पृथ्वी जल में समा गई थी। उस समय सभी सूक्ष्म प्रणियों, बीजों आदि को लेकर सप्तऋषि एक नाव पर सवार हो गए थे, तब श्री हरि विष्णु नें मत्स्य अवतार धारण करके पृथ्वी की रक्षी की थी। कहते हैं कि जलप्रलय में इस नाव में जो बच गए उन्ही से धरती पर दोबारा जीवन चक्र शुरु हुआ।
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