पारिस्थितिकी पिरैमिड को परिभाषित करें तथा जैवमात्रा या जैवभार तथा संख्या के पिरैमिडों की उदाहरण सहित व्याख्या करें।
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पारिस्थितिकी पिरैमिड :
किसी भी पारितंत्र में उपस्थित प्राथमिक उत्पादकों एवं विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं (प्राथमिक, द्वितीयक ,तृतीयक एवं उच्चतम श्रेणी के जंतुओं) की संख्या, जैवभार तथा संचित ऊर्जा के मध्य परस्पर संबंध होता है । इन संबंधों को चित्रीय रूप में पिरामिड्स के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसे पारिस्थितिक पिरामिड कहते हैं।
जैवमात्रा या जैवभार :
पारितंत्र के प्रति इकाई क्षेत्र में उपस्थित जीवों के शुष्क भार को जैवभार कहते हैं। जैव भार का पिरामिड पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पोषक स्तरों में उपस्थित जैवभार की मात्रा के संबंधों को प्रदर्शित करता है। जैवभार का पिरामिड उल्टा या सीधा प्राप्त हो सकता है।
जब उत्पादकों का जैव भार अधिक हो तथा उपभोक्ताओं के प्रत्येक स्तर पर जैवभार में क्रमशः कमी होती चली जाए, तो जैवभार का पिरामिड सीधा ही प्राप्त होता है। जब कभी उत्पादकों का जैव भार, उपभोक्ताओं की तुलना में कम हो जाता है, तो जैवभार का उल्टा पिरामिड प्राप्त होता है।
- वृक्ष के पारिस्थितिकी तंत्र, घास के मैदान का पारिस्थितिक तंत्र तथा वन के पारिस्थितिक तंत्र का पिरामिड सीधा प्राप्त होता है ।
- तालाब पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जैवभार का पिरामिड उल्टा प्राप्त होता है।
संख्या का पिरामिड :
जीव संख्या का पिरामिड किसी भी पारितंत्र के प्रत्येक पोषी स्तर पर जीवधारियों की संख्या के संबंध को प्रदर्शित करता है जीव संख्या का पिरामिड उल्टा या सीधा प्राप्त हो सकता है।
यदि किसी परिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक हो तो ऐसे पारिस्थितिक तंत्र में जीव संख्या का पिरामिड सीधा प्राप्त होता है। जब कभी प्राथमिक उत्पादकों की संख्या उपभोक्ताओं की तुलना में कम होती है तो ऐसी स्थिति में जीव संख्या का पिरामिड उल्टा प्राप्त होता है।
- घास के मैदान का पारिस्थितिक तंत्र , तालाब पारिस्थितिकी तंत्र का पिरामिड सीधा बनता है।
- वृक्ष के पारिस्थितिकी तंत्र के जीव संख्या का पिरामिड उल्टा प्राप्त होता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Answer:
किसी भी जैवभार तथा संचित ऊर्जा के मध्य परस्पर संबंध होता है । इन संबंधों को चित्रीय रूप में पिरामिड्स के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसे पारिस्थितिक पिरामिड कहते हैं।