Hindi, asked by Anonymous, 3 months ago

प्र: "स्वालालंबी भारत स्वाभिमानी भारत" विषय पर 500- 650 शब्दों में निबंध लिखें .

PLEASE GIVE CORRECT ANSWER, NEED URGENT.​

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Answered by Anonymous
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Answer:

एक कहावत है " ईश्वर भी उनकी सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं .यह कहावत वास्तव में सत्य है .जिन लोगों में स्वावलंबन अथवा आत्म निर्भरता का गुण होता है वे कभी असफल नहीं होते .ऐसे लोग

आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता

जीवन में हमेशा सफल होते हैं .ऐसे लोग जीवन में हमेशा सफल होते हैं .वे यह इंतज़ार नहीं करते कि कोई और उनके लिए सफलता लेकर आएगा .उनके पास जो कुछ भि साधन उपलब्ध होते हैं वे उन्ही के माध्यम से सफलता हासिल कर लेते हैं .किन्तु स्वावलंबन का गुण आज के लोगों में बहुत कम देखने को मिलता है .

स्वावलंबन का अर्थ है अपने काम स्वयं करना .यह मूल रुप से जहाँ तक संभव हो अपने आप पर ही निर्भर रहने और हर प्रकार की अनावश्यक निर्भरता से बचे रहने की प्रवृत्ति है .

दूसरों पर निर्भर न रहना -

इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है कि वह अपने सभी काम स्वयं ही कर ले .इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को कुछ हद तक दूसरों पर निर्भर रहना ही पड़ता है .इसके बावजूद सबसे सफल व्यक्ति वे होते हैं जो दूसरों पर कम से कम निर्भर रहते हैं .हमारे जीवन में सैकड़ों ऐसे चीज़ें हैं जिन्हें हम स्वयं ही आसानी से कर सकते हैं .

अपनी क्षमताओं का विकास -

अपना पसीना बहाकर परिश्रम से अर्जित धन के सहारे जीने के सुख से बढ़कर और कोई बड़ा आंनद नहीं होता .कहावत है कि कमाई गयी रोटी दान में या उपहार में मिली रोटी से लाख गुना अच्छी होती हैं . जब हम कोई काम स्वयं करते हैं तो वह परिपूर्ण होता है और हमें अत्यंत संतोष की अनुभूति होती है . स्वावलंबन हमारे दिमाग और शरीर की जन्मजात क्षमताओं का विकास करता है .यह हमें सहनशील ,समझदार और सामाजिक बनाता है .यह हमें आनंद ,आत्म - विश्वास देता है और मस्तिस्क और चरित्र को मज़बूत करता है .

स्वावलंबन की आदत -

अन्य अच्छी आदतों की तरह स्वावलंबन की आदत भी कम उम्र में ही अर्जित कर लेना चाहिए .बच्चे जब छोटे होते हैं तो उन्हें अपने छोटे - मोटे काम जैसे अपने कपड़ों ,निजी वातुवों ,स्कूल होमवर्क आदि की व्यवस्था स्वयं करके के लिए सिखाया जाना चाहिए .बहुत अधिक सहायता करने से और सदैव उनकी मदद के लिए तैयार खड़े रहने से वे बिगड़ जाते हैं .सबसे अच्छा यही कि उन्हें स्वावलंबी बनाया जाय जो न तो अपने लिए सोचते हैं और न ही अपने लिए काम करते हैं . अतः स्वावलंबन की आदत के बीज कम उम्र में ही बो देने चाहिए .

स्वावलंबन का महत्व -

स्वावलंबन की आदत हमारे दिमाग में स्वतंत्र चिंतन ,शीघ्र निर्णय की शक्ति भर देती है और हमें जिम्मेदार नागरिक बनाती है .इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था "मुझे दस ऐसे व्यक्ति दीजिये जिन्हें अपने आपमें विश्वास हो और मैं समूचे विश्व का कायापलट कर दूँगा."

1. भूमिका:

स्वावलंबन का अर्थ है अपने आप पर निर्भर (Dependent on oneself) रहना । इसलिए स्वावलंबन को आत्मनिर्भरता भी कहते हैं । कहा जाता है कि दूसरों के भरोसे रहना या दूसरों पर अवलंबित रहना गुलाम (Slave) होने केसमान होता है । स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में हर प्रकार की उन्नति (Development) कर सकता है और सदा स्वाधीन रहते हुए सुखी जीवन जी सकता है ।

2. अभाव से हानियाँ:

दूसरों के भरोसे रहने वाला व्यक्ति लोगों की नजर में एकदम छोटा हो जाता है और उसका अपना कोई व्यक्तित्व (Personality) नहीं रहता । वह दूसरों की इच्छा पर निर्भर रहता है । वह कायर (Coward) और साहसविहीन (Courageless) बन जाता है । छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए उसे दूसरों का मुँह देखना पड़ता है । हमारे देश के बार-बार गुलाम (Slave) सपष्ट बनने का यही कारण था कि इस देश के लोगों में स्वावलंबन नहीं था ।

लोग एक दूसरे को नुकसान (Harm) पहुँचाने में लगे रहते थे । एक ने शत्रु के साथ मिलकर अपने ही देश के लोगों के खिलाफ षड्‌यंत्र (Conspiracy) रचकर अपने आपको भी शत्रु का गुलाम बना लिया और पूरे देश को गुलामी की आग में झोंक दिया । अत: स्वावलंबी न होना ही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है ।

3. लाभ:

स्वावलंबी व्यक्ति न केवल शक्तिशाली बन जाता है, बल्कि वह दूसरों के दुख-सुख भी अच्छी तरह समझ सकता है और दूसरों के कष्ट दूर करने का प्रयत्न भी कर सकता है । ऐसा व्यक्ति ही परोपकारी तथा एक अच्छा प्रशासक (Administrator) बनने लायक होता है ।

कोई भी देश तभी तेजी से विकसित (Developed) हो सकता है, जब उस देश का प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाय, दूसरों के परिश्रम का फल स्वयं हजम करने की प्रवृत्ति (Attitude) न रखे और किसी भी कार्य को छोटा-बड़ा न समझ कर अपना कार्य पूरी लगन से करे । जिस देश में ऐसे नागरिक (Citizen) हों, उसे कोई भी शत्रु अपना गुलाम नहीं बना सकता ।

4. उपसंहार:

महात्मा गाँधी का चरखे पर सूता कातना, रैदास का जूते बनाना, संत कबीर का कपड़ा बुनना हमें स्वावलंबन की ही शिक्षा प्रदान करता है । हमें इनसे प्रेरणा (Inspiration) लेनी चाहिए ।

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