" प्रातः की बेला सौंदर्य " विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए
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मानव मन में नाना प्रकार के भाव-विचार आते-जाते रहते हैं। किसी विषय विशेष से संबंधित भावों-विचारों को सीमित शब्दों में लिखते हुए एक अनुच्छेद में लिखना अनुच्छेद लेखन कहलाता है। अनुच्छेद लेखन भी एक कला है। इस तरह के लेखन में अनावश्यक विस्तार से बचते हुए इस तरह लेखन किया जाता है कि कोई आवश्यक तथ्य छूटने न पाए।
प्रायः जब किसी वस्तु को अत्यंत तुच्छ बताना होता है तो लोग कह उठते हैं कि यह तो मिट्टी के भाव मिल जाएगी। लोगों की धारणा मिट्टी के प्रति भले ही ऐसी हो परंतु तनिक-सी गहराई से विचार करने पर यह धारणा गलत साबित हो जाती है। समस्त जीवधारियों यहाँ तक पेड़-पौधों को भी यही मिट्टी शरण देती है। आध्यात्मवादियों का तो यहाँ तक मानना है कि मानव शरीर निर्माण के लिए जिन तत्वों का प्रयोग हुआ है उनमें मिट्टी भी एक है।
जब तक शरीर जिंदा रहता है तब तक मिट्टी उसे शांति और चैन देती है और फिर मृत शरीर को अपनी गोद में समाहित कर लेती है।पृथ्वी पर जीवन का आधार यही मिट्टी है, जिसमें नाना प्रकार के फल, फ़सल और अन्य खाद्य वस्तुएँ पैदा होती हैं, जिसे खाकर मनुष्य एवं अन्य प्राणी जीवित एवं हृष्ट-पुष्ट रहते हैं। यह मिट्टी कीड़े-मकोड़े और छोटे जीवों का घर भी है। यह मिट्टी विविध रूपों में मनुष्य और अन्य जीवों का कल्याण करती है।
CBSE Class 10 Hindi B अनुच्छेद लेखन
September 27, 2019 by Bhagya
CBSE Class 10 Hindi B लेखन कौशल अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद लेखन
मानव मन में नाना प्रकार के भाव-विचार आते-जाते रहते हैं। किसी विषय विशेष से संबंधित भावों-विचारों को सीमित शब्दों में लिखते हुए एक अनुच्छेद में लिखना अनुच्छेद लेखन कहलाता है। अनुच्छेद लेखन भी एक कला है। इस तरह के लेखन में अनावश्यक विस्तार से बचते हुए इस तरह लेखन किया जाता है कि कोई आवश्यक तथ्य छूटने न पाए।
अनुच्छेद लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
अनुच्छेद लेखन में मुख्य विषय से भटकना नहीं चाहिए।
व्यर्थ के विस्तार से बचने का प्रयास करना चाहिए।
वाक्यों के बीच निकटता और संबद्धता होनी चाहिए।
भाषा प्रभावपूर्ण और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना अच्छा रहता है।
भाषा सरल, बोधगम्य और सहज होनी चाहिए।
अनुच्छेद लेखन उतने ही शब्दों में करना चाहिए जितने शब्द में लिखने का निर्देश दिया गया हो। उस शब्द-सीमा से 5 या अधिक शब्द होने से फर्क नहीं पड़ता है।
अनुच्छेद पढ़ते समय लगे कि इसमें लेखक की अनुभूतियाँ समाई हैं।
नोट- आजकल परीक्षा में अनुच्छेद लेखन के लिए शीर्षक और उससे संबंधित संकेत बिंदु दिए गए होते हैं। इन संकेत बिंदुओं को
ध्यान में रखकर अनुच्छेद लेखन करना चाहिए। इन संकेत बिंदुओं को अनदेखा करके अनुच्छेद-लेखन करना हितकर नहीं होगा। इसस अक कम हान का सभावना बढ़ जाती है।
1. मिट्टी तेरे रूप अनेक
सामान्य धारणा
मानव शरीर की रचना के लिए आवश्यक
जीवन का आधार
कल्याणकारी रूप
बच्चों के लिए मिट्टी।
प्रायः जब किसी वस्तु को अत्यंत तुच्छ बताना होता है तो लोग कह उठते हैं कि यह तो मिट्टी के भाव मिल जाएगी। लोगों की धारणा मिट्टी के प्रति भले ही ऐसी हो परंतु तनिक-सी गहराई से विचार करने पर यह धारणा गलत साबित हो जाती है। समस्त जीवधारियों यहाँ तक पेड़-पौधों को भी यही मिट्टी शरण देती है। आध्यात्मवादियों का तो यहाँ तक मानना है कि मानव शरीर निर्माण के लिए जिन तत्वों का प्रयोग हुआ है उनमें मिट्टी भी एक है।
जब तक शरीर जिंदा रहता है तब तक मिट्टी उसे शांति और चैन देती है और फिर मृत शरीर को अपनी गोद में समाहित कर लेती है।पृथ्वी पर जीवन का आधार यही मिट्टी है, जिसमें नाना प्रकार के फल, फ़सल और अन्य खाद्य वस्तुएँ पैदा होती हैं, जिसे खाकर मनुष्य एवं अन्य प्राणी जीवित एवं हृष्ट-पुष्ट रहते हैं। यह मिट्टी कीड़े-मकोड़े और छोटे जीवों का घर भी है। यह मिट्टी विविध रूपों में मनुष्य और अन्य जीवों का कल्याण करती है।
विभिन्न देवालयों को नवजीवन से भरकर कल्याणकारी रूप दिखाती है। मिट्टी का बच्चों से तो अटूट संबंध है। इसी मिट्टी में लोटकर, खेल-कूदकर वे बड़े होते हैं और बलिष्ठ बनते हैं। मिट्टी के खिलौनों से खेलकर वे अपना मनोरंजन करते हैं। वास्तव में मिट्टी हमारे लिए विविध रूपों में नाना ढंग से उपयोगी है।
गत एक दशक में जिस समस्या ने मनुष्य का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वह है-ग्लोबल वार्मिंग। ग्लोबल वार्मिंग का सीधा-सा अर्थ है है-धरती के तापमान में निरंतर वृद्धि। यद्यपि यह समस्या विकसित देशों के कारण बढ़ी है परंतु इसका नुकसान सारी धरती को भुगतना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारणों के मूल हैं-मनुष्य की बढ़ती आवश्यकताएँ और उसकी स्वार्थवृत्ति। मनुष्य प्रगति की अंधाधुंध दौड़ में शामिल होकर पर्यावरण को अंधाधुंध क्षति पहुँचा रहा है। कल-कारखानों की स्थापना, नई बस्तियों को बसाने, सड़कों को चौड़ा करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की गई है।
इससे पर्यावरण को दोतरफा नुकसान हुआ है तो इन गैसों को अपनाने वाले पेड़-पौधों की कमी से आक्सीजन, वर्षा की मात्रा और हरियाली में कमी आई है। इस कारण वैश्विक तापमान बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण एक ओर धरती की सुरक्षा कवच ओजोन में छेद हुआ है तो दूसरी ओर पर्यावरण असंतुलित हुआ है। असमय वर्षा, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सरदी-गरमी की ऋतुओं में भारी बदलाव आना ग्लोबल वार्मिंग का ही प्रभाव है।
Explanation:
jab koi rojana chalta hai toh