प्र-१-‘तंत्र ठप हो गया है’-ऐसा कहिा ठकसका र्दोष प्रकट करता है? अ-िोकताखन्त्रक व्र्वस्था का ब-अमीरों का क-सामाखिक व्र्वस्था का
Answers
तंत्र ठप हो गया है’-ऐसा कहना किसका दोष प्रकट करता है?
अ. हमारे नजरिये का, ब. व्यवस्था स. अमीरों का द. सामाजिक व्यवस्था का
सही उत्तर है...
➲ हमारे नजरिये का
⏩ तंत्र ठप हो गया है, ऐसा कहना हमारे नजरिये का दोष प्रकट करता है। देश में आजादी के बाद विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति होने के बावजूद भी जब हम निराशाजनक बात करते हैं कि तंत्र ठप हो गया है, यह पद्धति असफल हो गई है, वह पद्धति असफल हो गई है, यह बातें तंत्र के दोष को नहीं बल्कि हमारे नजरिए के दोष को प्रकट करती हैं। हमारी अपेक्षाएं बहुत अधिक बढ़ गई हैं, जो संतुष्ट नहीं हो पाती और इसी कारण हम निराशाजनक बातें करने लगते हैं।
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Answer:
तंत्र ठप हो गया है’-ऐसा कहना किसका दोष प्रकट करता है?
अ. हमारे नजरिये का, ब. व्यवस्था स. अमीरों का द. सामाजिक व्यवस्था का
सही उत्तर है...
➲ हमारे नजरिये का
⏩ तंत्र ठप हो गया है, ऐसा कहना हमारे नजरिये का दोष प्रकट करता है। देश में आजादी के बाद विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति होने के बावजूद भी जब हम निराशाजनक बात करते हैं कि तंत्र ठप हो गया है, यह पद्धति असफल हो गई है, वह पद्धति असफल हो गई है, यह बातें तंत्र के दोष को नहीं बल्कि हमारे नजरिए के दोष को प्रकट करती हैं। हमारी अपेक्षाएं बहुत अधिक बढ़ गई हैं, जो संतुष्ट नहीं हो पाती और इसी कारण हम निराशाजनक बातें करने लगते हैं।