प्र018-- महाकवि सूरदास अथवा गोस्वामी तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं
निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए
(i) दो रचनाएँ (ii) भावपक्ष
(ii) कलापक्ष
(iv) साहित्य में स्थान
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Explanation:
महाकवि सूरदास अथवा गोस्वामी तुलसीदास की काव्यगत विशेषता निम्नलिखित बिंदुओं के आधार है
महाकवि सूरदास और गोस्वामी तुलसीदास भारतीय साहित्य के दो प्रसिद्ध कवि हैं, जो अपनी भक्ति रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
(i) दो रचनाएँ: महाकवि सूरदास ब्रज भाषा में अपनी भक्ति कविता के लिए जाने जाते हैं, विशेष रूप से उनके "सुर सागर" (कविता का महासागर) और "सुर सरोवर" (कविता की झील)। गोस्वामी तुलसीदास अपने "रामचरितमानस" के लिए प्रसिद्ध हैं, जो अवधी भाषा में एक महाकाव्य कविता है, जिसे भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी कृतियों में से एक माना जाता है, जो हिंदू धर्म में एक केंद्रीय व्यक्ति भगवान राम की कहानी को दोहराती है।
(ii) भावपक्ष: महाकवि सूरदास और गोस्वामी तुलसीदास दोनों ने कविता लिखी जो भगवान की भक्ति के भावनात्मक और आध्यात्मिक पहलुओं पर जोर देती है। ईश्वर से मिलन की आत्मा की लालसा को व्यक्त करने के लिए वे प्राय: प्रेम और भक्ति की भाषा का प्रयोग करते थे।
(iii) कलापक्ष: दोनों कवियों ने कविताएँ भी लिखीं जो धार्मिक अनुष्ठानों और प्रथाओं के प्रदर्शन सहित भक्ति के व्यावहारिक पहलुओं पर केंद्रित थीं। उन्होंने मोक्ष प्राप्त करने के साधन के रूप में भक्ति के मार्ग का पालन करने के महत्व पर जोर दिया।
(iv) साहित्य में स्थान: महाकवि सूरदास और गोस्वामी तुलसीदास दोनों को भारतीय साहित्य के महानतम कवियों में माना जाता है और उनका अपनी-अपनी भाषाओं के भक्ति साहित्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है। उनकी रचनाएँ आज भी व्यापक रूप से पढ़ी और पढ़ी जाती हैं, और उनकी कविता को सर्वोच्च भक्ति और परमात्मा के प्रति समर्पण की अभिव्यक्ति माना जाता है।
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