प्र018 निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश का संदर्भ-प्रसंग सहित भावार्थ लिखिये
ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होई।
सुबरन कलस सुरा भरा ,साधू निंदा सोई ।।
Answers
ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होई।
सुबरन कलस सुरा भरा ,साधू निंदा सोई ।।
संदर्भ-प्रसंग: यह पंक्तियाँ कबीर जी सखियों से ली गई है|
भावार्थ: कबीर जी इस साखी में समझाना चाहते है कि ऊँचे कुल में जन्म लेने से कुछ नहीं होता है , आपके कर्म आपको ऊँचा बनाते है| आपके करो से आपकी पहचान होती है| जिस प्रकार सोने के बर्तन में रखी हुई मदिरा की साधु भी निंदा करेंगे| इसकी चारों ओर निंदा ही होती है।
यदि मनुष्य ऊँचे कुल में जन्म लेगा और कार्य गलत करेगा तब सब उसकी निंदा ही करेंगे| ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई भी व्यक्ति महान नहीँ बन जाता है|
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कबीर जी इस साखी में समझाना चाहते है कि ऊँचे कुल में जन्म लेने से कुछ नहीं होता है , आपके कर्म आपको ऊँचा बनाते है| आपके करो से आपकी पहचान होती है| जिस प्रकार सोने के बर्तन में रखी हुई मदिरा की साधु भी निंदा करेंगे| इसकी चारों ओर निंदा ही होती है।
यदि मनुष्य ऊँचे कुल में जन्म लेगा और कार्य गलत करेगा तब सब उसकी निंदा ही करेंगे| ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई भी व्यक्ति महान नहीँ बन जाता है|