Hindi, asked by amitpatel33553, 3 months ago

प्र02 जो सहित्य मुर्दे को भी जिन्दा करने वाली संजीवनी औषधि का भण्डार है, जो साहित्य
को उठाने वाला और उत्पीड़ितों के मस्तक को उन्नत करने वाला है, उसके उत्पादन और संव
चेष्टा जो गति नहीं करती वह अज्ञानांधकार की गर्त में पड़ी रहकर किसी दिन अपना असि
खो बैठती है। अतएव समर्थ होकर भी जो मनुष्य इतने महात्वशाली साहित्य की सेवा और
नहीं करता अथवा उससे अनुराग नहीं रखता वह साहित्य द्रोही है, वह नीति द्रोही है।
प्र0 (i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ii) संजीवनी औषधि का भण्डार क्या है ?
(iii) साहित्य के संवर्धन की चेष्टा कब अपना अस्तित्व खो बैठती है ?
(iv) नीतिद्रोही एवं साहित्यद्रोही कौन है ?
(v) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।​

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Answered by chandanuddey8
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Answer:

जो साहित्य में मुर्दे को जिंदा करने वाली संजीवनी औषधि का भंडार है

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