प्र2- दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 70 से 80 शब्दों में उचित शीर्षक के साथ कहानी लेखन कीजिए तथा सीख लिखिए। अमीर बुढ़िया ---------दो नौकर----- मुर्गे की बांग सुनकर बुढ़िया का जाग जाना -------बुढ़िया का नौकरों को जगाना ------उन्हें काम पर लगाना नौकर परेशान ------नौकरों का तंग आना------- आपस में षड्यंत्र -----मुर्गे को मार डालना-------- वक्त -बेवक्त बुढ़िया का जाग जाना -------पहले से अधिक काम नौकरों को मिलना ------पछतावा ----------सीख
Answers
Explanation:
एक बुढि़या थी। उसके यहाँ दो नौकर थे। बुढि़या रोज सुबह मुर्गे के बाग देते ही उठ जाती थी। फिर वह अपने नौकरौ को जगाती और उन्हे काम पर लगा देती। नौकरो को सुबह इतनी जल्दी उठना पसंद नही था। वे दोनो हमेशा यही सोचा करते ऐसा कोई उपाय करना चाहिये। ताकि हम आराम से सो सके। एक दिन एक नौकर ने कहा, ‘क्यो न हम सभी मुर्गो को मार डाले।एक बार वह जग जाती तो नौकरो को भी सोने न देती। मुर्गा तो मर गया पर नौकरो की परेशानी पहले से ज्यादा बढ़ गई। अब उन्हे और भी जल्दी उठना पडता था।
शिक्षा -बिना बिचारे जो करे सो पीछे पछताए।
Answer:
एक बुढ़िया थी | उसके यहाँ दो नौकर थे | बुढ़िया रोज सुबह मुर्गे के बांग देते ही उठ जाती थी | उसी पहर वह अपने नौकरो को जगाती और उन्हें काम पर लगा देती |
नौकरो को सुबह इतनी जल्दी उठना अच्छा नहीं लगता था | वे दोनों हमेशा यही सोचा करते, ” ऐसा कोई उपाय करना चाहिए ताकि हम आराम से देर तक सो सके | “
एक दिन एक नौकर ने दूसरे से कहा , ” क्यों न हम इस मुर्गे को ही मार डाले | न रहेगा बॉस न बजेगी बासुँरी ! यदि मालकिन सुबह मुर्गे की बांग ही नहीं सुंगी, तो इतनी जल्दी उसके नींद कैसे खुलेगी? यदि वह सुबह जल्दी जागेगी नहीं, तो हमे नींद से कौन उठाएगा? फिर हम चैन की नींद सो सकेंगे |”
दूसरे नौकर को भी यह बात पसंद आई, दूसरे दिन दोनों नौकरो ने मिलकर मुर्गे को मार डाला | जब मुर्गा ही नहीं रहा, तो बड़े सवेरे बांग कौन देता ? अब बुढ़िया को सुबह उठने के सही समय का पता नहीं चलता और वह चिंता की वजह से पहले की जगह और जल्दी उठ जाती | और नौकरो को भी उठा देती |
मुर्गा तो मर गया, पर नौकरो की पेरशानी पहले से ज्यादा बड़ गयी | अब उन्हें और भी जल्दी उठ कर काम करना पड़ता |
Moral of the Story – बिना विचा जो करे सो पछताए