प्र4. समय के महत्व पर बातचीत करते हुए माता व पुत्र/पुत्री के मध्य हुए संवादो को लिखें। 4
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पिताजी-- बेटा तुम इतनी देर तक सोते रहोगे तो जीवन पथ पर आगे कैसे बढ़ोगे?
बेटा-- क्या पिताजी...आप भी न एक दिन छुट्टी के दिन में आराम करता हूं तब भी आप मुझपर चिल्लाते हैं।
पिताजी-- नहीं, बेटा मैं तुम पर चिल्ला नहीं रहा। तुम्हें बस सचेत कर रहा हूं कि तुम समय के साथ चलो।
बेटा-- पिताजी समय का महत्व है? -3B
पिताजी-- हां, बिल्कुल है।
बेटा-- कैसे?
पिताजी-- बेटा ।यह समय ही तो है जो सबकी परिछा ले ता है। सबको बलवान बनाता है। समय न हो तो क्या दिन और क्या रात।यह हमें गुलाम बनाता है और मेहनती भी इसलिए समय का महत्व तो है।
बेटा-- समझ गया पिताजी मैं आपके बातों को अर्थात समय के
महत्व को।
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