प्रबंधन द्वारा नियोजित करते समय किन-किन लक्षणों को ध्यान में रखना चाहिए?
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व्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में प्रबन्धन (Management) का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत आयोजन (planning), संगठन-निर्माण (organizing), स्टाफिंग (staffing), नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि आते हैं।
संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता, प्रबंध सभी के लिए आवश्यक है। प्रबंध इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं। प्रबंधक अलग-अलग कार्यों पर भिन्न समय लगाते हैं। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक नियोजन एवं संगठन पर नीचे स्तर के प्रबंधकों की तुलना में अधिक समय लगाते हैं।
"नियोजन छोटा हो या बड़ा, अल्पकालीन हो या दीर्घकालीन, उसे विधिवत संचालित करने हेतु कुछ आवश्यक कदम उठाने पड़ते हैं। प्रबंधन द्वारा नियोजित करते समय निचे दर्शाये गए चरणों को ध्यान में रखने चाहिए -
१. लक्ष्य निर्धारण करना
२. पूर्वानुमान करना
३. सीमा निर्धारण करना
४. वैकल्पिक कार्यविधियों का विश्लेषण अवं मूल्यांकन
५. श्रेष्टतम विकल्प का चयन
६. योजनाओ का निर्माण
७. अनुगमन
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