प्रभु जी चंदन तो रैदास जी क्या है
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प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा॥ इस पद में कवि ने उस अवस्था का वर्णन किया है जब भक्त पर भक्ति का रंग पूरी तरह से चढ़ जाता है। एक बार जब भगवान की भक्ति का रंग भक्त पर चढ़ जाता है तो वह फिर कभी नहीं छूटता। कवि का कहना है कि यदि भगवान चंदन हैं तो भक्त पानी है।
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