‘प्रभो’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
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Prabhu Deva Re Deva Re Deva Kya Kare Aaye Ham to Prabhu Deva kiss Ham to Prabhu Deva Deva
“प्रभो” कविता हिंदी के महान छायावादी कवि ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा लिखी गई मर्मस्पर्शी कविता है। इस कविता में कवि ने परमेश्वर की महिमा का बखान किया है। कवि परमेश्वर के विराट और उदार स्वरूप का दर्शन कराता हुआ मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है। कवि ईश्वर को चंद्रमा की निर्मल किरणों के समान प्रकाशवान बताता है और कहता है कि सारी सृष्टि ईश्वर की मनोहारी लीला है। परमेश्वर दया का सागर है और उसकी अपार दया और तरंगमालाएं उसकी महानता का बखान करती हैं। कवि ने ईश्वर की मुस्कान को चांदनी जैसी धवल और हंसी की ध्वनि को नदियों की कल-कल ध्वनि के समान बताया है। कलि कहता है कि आकाश में रात में जगमगाते असंख्य तारे ईश्वर के घर में दीपों से जगमगाते विशाल मंदिर का आभास कराते हैं। कवि ने ईश्वर को पूरी सृष्टि का संरक्षक बताया है जो प्रकृति को आनंदमय कर देता है। कवि को विश्वास है कि ईश्वर बड़ा ही दयालु है और उसकी दया के कारण प्रत्येक जीव की मनोकामना पूर्ण होती है।
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ईश्वर की प्रशंसा के गीत कौन गा रही हैं?
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