प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा क्यों कहा गया छाया मत छूना कविता के आधार पर लिखिए
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उपलब्धियों की प्राप्ति न होने पर परेशान रहना। 'जीवन में सुरंग सुधियाँ सुहावनी' से कवि का अभिप्राय उन मधुर स्मृतियाँ से है जो याद आने पर हमें पीड़ा देती हैं कवि ऐसी यादों से बचने का प्रयास करने के लिए कह रहा है। ... छाया मत छूना में कवि का अभिप्राय बीते हुए सुखद पलों से है। इन पलों को कवि वर्तमान के दुख का कारण मानता है।
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anjaligautamkhurja:
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