प्रजामण्डलों की स्थापना के उद्देश्य और महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :
(i) भील विद्रोह
(ii) बिजौलिया किसान आन्दोलन
(iii) रोलट एक्ट
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Answer:
भारतीय रियासतों का शासन व्यवस्था ब्रिटिश नियंत्रण वाले भारतीय क्षेत्र से भिन्न थी तथा अनेक रियासतों के राजा प्रायः अंग्रेजों के मुहरे के समान व्यवहार करते थे। शुरुआती दौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देशी रियासतों में आन्दोलन के प्रति उदासीन रही तथा रियासतों को अपने अभियान से अलग रखा था। परन्तु जैसे-जैसे रियासतों की जनता में निकटवर्ती क्षेत्रों के कांग्रेस चालित अभियानों से जागरूकता बढ़ी, उनमें अपने कल्याण के लिए संगठित होने की प्रवृत्ति बलवती हुई, जिससे प्रजामंडल बने।
भारतीय रियासतों का शासन व्यवस्था ब्रिटिश नियंत्रण वाले भारतीय क्षेत्र से भिन्न थी तथा अनेक रियासतों के राजा प्रायः अंग्रेजों के मुहरे के समान व्यवहार करते थे। शुरुआती दौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देशी रियासतों में आन्दोलन के प्रति उदासीन रही तथा रियासतों को अपने अभियान से अलग रखा था। परन्तु जैसे-जैसे रियासतों की जनता में निकटवर्ती क्षेत्रों के कांग्रेस चालित अभियानों से जागरूकता बढ़ी, उनमें अपने कल्याण के लिए संगठित होने की प्रवृत्ति बलवती हुई, जिससे प्रजामंडल बने।हरिपुरा अधिवेशन (१९३८) में कांग्रेस की नीति में परिवर्तन आया। रियासती जनता को भी अपने-अपने राज्य में संगठन निर्माण करने तथा अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन करने की छूट दे दी।
प्रजामण्डलों का अर्थ है जनता का समूह।
1.प्रजामण्डलों की स्थापना सन 1920 में हुई।
2.प्रजामण्डल की स्थापना भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी और ये भारतीय रियासतों की जनता के संगठन थे।
3. जैसे-जैसे रियासतों की जनता मे कांग्रेस के अभियानों में जागरूकता बढ़ी, उनमें अपनी जनता के हित के लिए संगठन तय्यार किए
जिससे प्रजामंडल बने।