प्रकृति और पक्षी पर एक कविता।
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hey.......here s your answer........
pasu or panchi...poem.......
आसमान में एक झुंड में उड़ते रहना
फिर कहीं बैठकर चहचहाना
हर किसी का मन मोह लेती है
पशु पक्षियों के जीवन से प्रकृति शोभायमान होती है
दूध गोवर ऊन सब प्राप्त होते हैं
बच्चे बूढ़े नौजवानों के चेहरे पर मुस्कान होती है
उनको और हमको खुशी ही खुशी मिलती है
पशु पक्षियों के जीवन से प्रकृति शोभायमान होती है
हर समय हर जगह खुशियों की बहार होती है
इस दुनिया से वह नासमझ होते हैं
ना अच्छे की ना बुरे की उन्हें समझ होती है
ना छल कपट ना झूठ फरेब वह सच्चे होते हैं
उनके चेहरे पर बस मासूमियत होती है
पशु पक्षियों के जीवन से प्रकृति शोभायमान होती है
हर समय हर जगह खुशियों की बहार होती है
prakriti........poem
महानगर के रहने वाले बेटे से
मिलने बापू-अम्मा आए
बीस मंजिले पर चढ़ने से
बहुत ही हैं घबराए।
चारों तरफ है कांक्रीट के जंगल
पशु-पक्षी हैं बिसराए
बंद हवा और धूप देखकर
मन ही मन पछताए।
दरबे जैसे घर में
बहू और बेटा बंद पड़े
ताजी हवा के झोंके
जैसे बीते दिन की बात हुई
पास में लेटा पोता राजा
अंगूठा चूस-चूस चिल्लाए
जोर-जोर से रोता देखकर
पाऊडर घोर-घोर पिलाए।
रोज सबेरे सब निकले घर छोड़कर
सांझ तक लौट न घर आए
छोटा बबुआ दिनभर रोये
झुनझुना देख-देख ललचाये
दादा-दादी की हैं आंखें भर आईं।
जीवन के इस रूप को देखकर
मन में वितृष्णा है हो आई
मृगतृष्णा से इस जीवन से
कैसे छुटकारा पाएं
सोच रहे हैं बुजुर्ग दंपति
मन ही मन भरमाए।
hope it's help u......plz mark me in brainliest......
and said thanks also......have a great day...
pasu or panchi...poem.......
आसमान में एक झुंड में उड़ते रहना
फिर कहीं बैठकर चहचहाना
हर किसी का मन मोह लेती है
पशु पक्षियों के जीवन से प्रकृति शोभायमान होती है
दूध गोवर ऊन सब प्राप्त होते हैं
बच्चे बूढ़े नौजवानों के चेहरे पर मुस्कान होती है
उनको और हमको खुशी ही खुशी मिलती है
पशु पक्षियों के जीवन से प्रकृति शोभायमान होती है
हर समय हर जगह खुशियों की बहार होती है
इस दुनिया से वह नासमझ होते हैं
ना अच्छे की ना बुरे की उन्हें समझ होती है
ना छल कपट ना झूठ फरेब वह सच्चे होते हैं
उनके चेहरे पर बस मासूमियत होती है
पशु पक्षियों के जीवन से प्रकृति शोभायमान होती है
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महानगर के रहने वाले बेटे से
मिलने बापू-अम्मा आए
बीस मंजिले पर चढ़ने से
बहुत ही हैं घबराए।
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पशु-पक्षी हैं बिसराए
बंद हवा और धूप देखकर
मन ही मन पछताए।
दरबे जैसे घर में
बहू और बेटा बंद पड़े
ताजी हवा के झोंके
जैसे बीते दिन की बात हुई
पास में लेटा पोता राजा
अंगूठा चूस-चूस चिल्लाए
जोर-जोर से रोता देखकर
पाऊडर घोर-घोर पिलाए।
रोज सबेरे सब निकले घर छोड़कर
सांझ तक लौट न घर आए
छोटा बबुआ दिनभर रोये
झुनझुना देख-देख ललचाये
दादा-दादी की हैं आंखें भर आईं।
जीवन के इस रूप को देखकर
मन में वितृष्णा है हो आई
मृगतृष्णा से इस जीवन से
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सोच रहे हैं बुजुर्ग दंपति
मन ही मन भरमाए।
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Subodhani:
I don't know how to mark as branliest
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Explanation:
sorry I don't know the answer
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