प्रकृति और विधाता जब देते है तो निस्वार्थ देते हैं जब वापस लेते हैं तो आहट भी सुनाई नहीं देती अनुच्छेद लेखन
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bhagwan jab bhi hame khuss hokar kuchh bhi dete h to niswarth dete h
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satya vachhan
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sahi bole guru
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