Hindi, asked by Shazuchamp2704, 1 year ago

प्रकृति उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

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Answered by bhatiamona
185

Answer:

प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को असीम आत्मीय सुख की अनुभूति होती है।  

प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका जैसे कहीं खो गई थी। लेखिका के चारों ओर स्वर्गिक आनंद अनुभूत कराने वाली वस्तुएं बिखरी पङी थीं और वो इन वस्तुओं को अपने आप में समेट लेना चाहती थी । इस वातावरण में उसको अद्भुत शान्ति प्राप्त हो रही थी।  

Answered by harishankarsharmawt
49

Answer:

प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरुप को देखकर लेखिका को लगा कि इस सारे परिदृश्य को वह अपने अंदर समेट ले। लेखिका चित्रलिखित सी 'माया' और 'छाया 'के अनूठे खेल को भर-भर आँखों से देखती जा रही थी। उसे लगा कि प्रकृति उसे सयानी बनाने के लिए जीवन रहस्यों करने पर तुली हुई है। इन अद्भुत और अनूठे नजारों ने लेखिका को पल भर में ही जीवन की शक्ति का अनुभव करा दिया। उसे ऐसा लगने लगा जैसे वह देश व काल की पारापार से दूर,बहती धारा बनकर बह रही हो और उसकी मन के सारा मैल और वासनाएँ इस निर्मल धारा में बह कर नष्ट हो गई हो।

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