प्रकट काजिए।
4. पहली सवाक फिल्म के निर्माता-निदेशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया
गया तब सम्मानकर्ताओं ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा?
और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए।
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उत्तर: जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर निम्नलिखित वाक्य छपे थे, “वे सभी सजीव है, सांस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान जिन्दा हो गए, उनको बोलते बातें करते देखो”।
इस वाक्य से पता चलता है कि उस फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे। सबसे अहम बात जो पता चलती है वो ये है कि कैसे एक नई तकनीक ने अविश्वसनीय को यथार्थ बनाया होगा। पोस्टर के संदेश इस अनूठी उपलब्धि को बिलकुल सटीक महत्व दे रहे हैं।
इस वाक्य से पता चलता है कि उस फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे। सबसे अहम बात जो पता चलती है वो ये है कि कैसे एक नई तकनीक ने अविश्वसनीय को यथार्थ बनाया होगा। पोस्टर के संदेश इस अनूठी उपलब्धि को बिलकुल सटीक महत्व दे रहे हैं।
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पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर सम्मानित किया गया और उन्हें ”भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता” कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था,- ”मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।” वे विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे उनसे एक नया युग शुरू हो गया।
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