प्रमस्तिष्कीय वल्कुट के चार पालियों के नाम बताइए। ये क्या कार्य करते हैं?
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प्रमस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) सेरेब्रल का अर्थ मसि्तष्क के दोनो भाग तथा पाल्सी का अर्थ किसी ऐसा विकार या क्षति से है जो शारीरिक गति के नियंत्रण को क्षतिग्रस्त करती है। एक प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक विलियम लिटिल ने 1760 ई में बच्चो में पाई जाने वाली असामान्यता से सम्बंधित चिकित्सा की चर्चा की थी जिसमे हाथ एवं पाव की मांसपेशियों में कड़ापन पाया जाता है। ऐसे बच्चों को वस्तु पकड़ने तथा चलने में कठिनाई होती है जिसे लम्बे समय तक लिटिल्स रोग के नाम से जाना जाता था। अब इसे प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) कहते हैं। 'सेरेब्रल' का अर्थ है मस्तिष्क के दोनों भाग तथा पाल्सी का अर्थ है ऐसी असामान्यता या क्षति जो शारीरिक गति के नियंत्रण को नष्ट करती है प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात का अर्थ है मस्तिष्क का लकवा।
यह मस्तिष्कीय क्षति बच्चो के जन्म के पहले, जन्म के समय और जन्म के बाद कभी भी हो सकता है इसमें जितनी ज्यादा मस्तिष्क की क्षति होगी उतनी ही अधिक बच्चो में विकलांगता की गंभीरता बढ़ जाती है।
परिभाषा-
बैटसो एवंं पैरट (1986) के अनुसार "सेरेब्रल पाल्सी एक जटिल, अप्रगतिशील अवस्था है जो जीवन के प्रथम तीन वर्षो मे हुई मस्तिष्कीय क्षति के कारण होती है जिसके फलस्वरूप मांसपेशियों में सामंजस्य न होने के कारण तथा कमजोरी से अपंगता होती है।"
यह एक प्रमस्तिष्क संबंधी विकार है। यह विकार विकसित होते मस्तिष्क के मोटर कंट्रोल सेंटर (संचलन नियंत्रण केन्द्र) में हुई किसी क्षति के कारण होता है। यह बीमारी मुख्यत: गर्भधारण (७५ प्रतिशत), बच्चे के जन्म के समय (लगभग ५ प्रतिशत) और तीन वर्ष तक की आयु के बच्चों को होती है। सेरेब्रल पाल्सी पर अभी शोध चल रहा है, क्योंकि वर्तमान उपलब्ध शोध सिर्फ बाल्य (पीडियाट्रिक) रोगियों पर केन्द्रित है। इस बीमारी की वजह से संचार में समस्या, संवेदना, पूर्व धारणा, वस्तुओं को पहचानना और अन्य व्यवहारिक समस्याएं आती है।
प्रमस्तिष्कीय वल्कुट के चार पालियों में बाँटा गया है
ललाट पाली: यह मुख्यतः संज्ञानात्मक प्रवृति से सम्बंधित है जैसे- सीखना , सोचना, बोलना, निर्णय , तर्क करना ।
भितीय पाली: इसमे संवेदी और प्रेरक केंद्र होते हैं जैसे त्वचीय , नेत्र, कान संवेदी।
संख पाली: यह मुख्यतः सुनने से संबन्धित है । शब्दों और आवाजों को समझना और लिखित भाषा का ज्ञान आदि इसी पाली पर निर्भर है ।
अनुकपाल पाली: इसमें दृष्टि संवेदी केंद्र होते हैं।