प्रनतष्ठित’ कय वणष ववच्छे ि होगय –
(क) प्+ र्+अ + त्+ इ + ठ् +इ + त्+अ
(ि) प्+ र्+अ + त्+ इ + र््+ ठ् + इ + त्+अ
(ग) प्+ र्+ त्+ ई + र््+ ठ् +इ + त्
(घ) प्+ र्+अ + त्+ ई + र््+ ठ् +इ + त्+अ
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प्रनतष्ठित’ कय वणष ववच्छे ि होगय –
(क) प्+ र्+अ + त्+ इ + ठ् +इ + त्+अ
(ि) प्+ र्+अ + त्+ इ + र््+ ठ् + इ + त्+अ
(ग) प्+ र्+ त्+ ई + र््+ ठ् +इ + त्
(घ) प्+ र्+अ + त्+ ई + र््+ ठ् +इ + त्+अ
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