History, asked by Ankittete222gmailcom, 1 year ago

प्ररांभिक मध्यकाल में मंदिर स्थापत्य की विभिन्न शैलियों के विकास का उल्लेख कीजिए।​

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Answered by babusinghrathore7
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प्रारंभिक मध्यकाल में स्थापत्य शैली की मुख्यतः तीन शैलियों का विकास हुआ।

नागर शैली  

नागर शैली की विशेषताएं  

ऊंचा चबूतरा

वर्गाकार गर्भगृह  

गर्भगृह से ही जुड़ा हुआ प्रदक्षिणा पथ  

रेखा शेखर जोगी गर्भगृह का क्रमशः ऊंचाई की ओर घढ़ता हुआ रूप है ।

नागर शैली के प्रमुख मंदिर रीवां का बैजनाथ महादेव का मंदिर  

खजुराहो के मंदिरों में धन चंदेल द्वारा निर्मित कंदरिया महादेव का मंदिर

पुरी का जगन्नाथ मंदिर

कोर्णाक का सूर्य मंदिर  

भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर

दिलवाड़ा के जैन मंदिर  

मोढेरा का सूर्य मंदिर द्रविड़  

शैली द्रविड़ शैली दक्षिण भारत में प्रचलित थी।

द्रविड़ शैली बहुकोणीय थी। इसमें शिखर आमतौर पर अष्टकोणीय होता था। इस शैली के मंदिरों की मुख्य विशेषताएं में निम्नलिखित थी।

ये मंदिर विशाल प्रांगण के मध्य बनाएं जाते थे। वर्गाकार गर्भगृह और चारों ओर से ढ़का हुआ प्रदक्षिणा पथ। परमिडाकार शिखर

भव्य गोपुरम  (प्रवेश द्वार)  

इसका विकास मुख्यतः चार राजवंशो के समय हुआ।  

पल्लव राष्ट्रकूट चोल और पांडेय।

मंडप पल्लव शैली की, शिखर चौल शैली की एवं गोपुरम पांडेय से की मुख्य विशेषताएं हैं।

गर्भगृह को देबुल तथा सभामंडप को जगमोहन कहा जाता था

बेसर शैली बेसर शैली की संरचना नागर शैली में है जब कि अलंकरण द्रविड़ शैली का है। चालुक्य व होयसल वंश के शासकों ने बेसर शैली को प्रोत्साहन दिया। होयसल शासकों की राजधानी द्वार समुद्र का आधुनिक नाम हलेबिड है। यह कर्नाटक में है। विष्णुवर्धन के काल में निर्मित होयसलेश्वर का मंदिर बेसर शैली का श्रैष्ठ उदाहरण है।

Answered by Sidyandex
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Answer:

According to three main styles of temples, it is now changing with respect to the temples especially carried out the Hindu Temples.

Thus, it denotes style is called Dravidian style and it actually carried out due to its development in South India.

Most of the temples are denoting with actual result and includes three different architecture designs.

In the history, it includes philosophy and culture has been carried out by Northern style.

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