प्रस्तुत कविता ‘अनल-किरीट’ का कला-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
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कवि दिनकर ने ‘अनल-किरीट’ कविता में उदात्त एवं ओजस्वी भावों की अभिव्यक्ति की है। इसका कला-सौन्दर्य अर्थात् कलापक्ष व शिल्प-सौन्दर्य भावानुरूप है। इसकी भाषा सरल और बोधगम्य होते हुए भी परिमार्जित है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें भावाभिव्यक्ति के अनुरूप सुन्दर शब्दावली प्रयुक्त हुई है। तत्सम, तद्भव एवं उर्दू शब्दों को प्रयोग सूक्ष्म से सूक्ष्म भावों को व्यक्त करने में सक्षम है। इसमें आवश्यकतानुसार लक्षणा एवं व्यंजना शब्द-शक्तियों का प्रयोग किया गया है। ‘अनल-किरीट’ कविता में ओज गुण प्रमुखता से है। इस कारण इसे वीर रस की भावमयी रचना कह सकते हैं।
इसमें मात्रिक छन्द हैं जिसमें तुकान्त-योजना अतीव आकर्षक है। दिनकर के काव्य में कथ्य को अधिक व्यंजनापूर्ण बनाने के लिए अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। इसमें अनुप्रास, रूपक, दृष्टान्त, उपमा एवं पर्यायोक्त अलंकार का प्रयोग किया गया है। इसमें मानवीकरण एवं प्रतीकात्मकता भी है। संक्षेप में कह सकते हैं कि कला-सौन्दर्य की दृष्टि से यह लघु-कविता श्रेष्ठ है। इसमें भावोज्ज्वलता के अनुरूप अभिव्यक्ति-पक्ष का पूरा ध्यान रखा गया है।