प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?
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प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया हैं ?
Explanation:
प्रस्तुत कविता में का कवि ने प्रकृति को सर्वव्यापी के भाव से देखा हैं | कहने का तात्पर्य यह है की; उन्होंने प्रकृति को पेड़-पौधों में, विचरण करने वाले जीव-जंतुओं में, बड़े और हरे भरे पहाड़ियों के चोटियो में, समंदर की अनंत गहराई में और आसमान में तैरते हुए बादलों में देखा हैं |
हमारे अंदर भी प्रकृति बसी हुई हैं, क्योंकि हम भी तो प्रकृति का एक हिस्सा हैं| हम जो भी देख रहें हैं, सुन रहें हैं, खा रहें हैं वह सब प्रकृति ही तो हैं| संसार के आरंभ से लेकर अब तक जो भी चीज़ इस पृथ्वी पर बनी या मिटी है वह सब प्रकृति का ही हिस्सा हैं |
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