प्रस्तुत पाठ को पढ़कर ज्ञात होता है कि
पिता के जीवन की धूरी थी-
*
तारकेश्वरनाथ
ईश्वर
गाँव का विकास
परिवार
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tarkeshvarnath pitacki jeevan Ki dhoori thi
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