प्रसाद जी के अनुसार कथा साहित्य की मूल क्षेत्र क्या है संक्षेप में लिखिए
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प्रसाद जी के अनुसार कथा-साहित्य की मूल चेतना क्या है। ... उनकी रचनाओं में अतिवाद का आग्रह नहीं मिलता था और अपनी रचनाओं के माध्यम से वह प्रचार और कला दोनों को अद्वैता के आधार पर विकसित कर प्रस्तुत करते थे, यही उनके कथा साहित्य की मूल चेतना थी।
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