प्रसाद के नाटकों का वैशिष्ट्य समझाइए।
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प्रसाद जी के नाटकों की एक सर्वप्रमुख विशेषता यह है कि उन्होंने अपने नाटकों में पुरुष पात्रों की अपेक्षा स्त्री पात्रों का चरित्रांकन विशेष रूप से किया है। जैसे ध्रुवस्वामिनी, अलका, कलयाणी, मालविका, वासवी, रज्य श्री, देवसेना आदि।
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प्रसाद जी के नाटकों की एक सर्वप्रमुख विशेषता यह है कि उन्होंने अपने नाटकों में पुरुष पात्रों की अपेक्षा स्त्री पात्रों का चरित्रांकन विशेष रूप से किया है। जैसे ध्रुवस्वामिनी, अलका, कलयाणी, मालविका, वासवी, रज्य श्री, देवसेना आदि।
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